नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका मेरे चैनल में. दोस्तों जैसे की आप सब जानते ही है की गणेश विसर्जन के बाद शुरू होते हैं श्राद्ध. और हर साल यह श्राद्ध भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक चलते हैं. और इसी श्राद्ध के दिनों में लोग पितरों को पिंडदान कराते है. दोस्तों बहुत से लोग अपने घरों में ही पूजा-पाठ और खाना बनाकर पितरों को भोजन कराते हैं और कुछ लोग विष्णु का नगर यानी गया में जाकर अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं. दोस्तों क्या आप जानते है की हिंदू धर्म में पितृ ऋृण से मुक्ति के लिए हम श्राद्ध मनाया जाता है. और इस ऋृण को चुकाने में कोई गलती ना हो इसीलिए यहां श्राद्ध मनाया जाता है. तो चलिए जानते है की हमें के श्राद्ध दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.
श्राद्ध के दिन हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए:
- क्या आप जानते है की श्राद्ध पूरे 16 दिन के होते हैं. और इन 16 दिनों के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दीजिये. क्योंकि दोस्तों ऐसा करना शुभ माना जाता है.
- श्राद्ध कर रहे है तो यह हमेशा अपने घर या फिर सार्वजनिक भूमि पर ही कीजिये. किसी और के घर पर श्राद्ध ना करें.
- श्राद्ध में कभी भी ब्राह्मणों को लोहे के आसन पर बिठाकर पूजा ना करें और ना ही ब्राह्मणों को केले के पत्ते पर भोजन कराएं.
- जब आप पिंडदान करते है तो उस वक्त जनेऊ हमेशा दाएं कंधे पर रखें.
- जब भी आप पिंडदान करते है तो उस वक्त तुलसी जरूर रखें.
- आप हमेशा पिंडदान दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके ही करें.
- कभी भी ना सुबह और ना ही अंधेरे में श्राद्ध करें. श्राद्ध हमेशा दोपहर के बाद ही किया जाते है जब सूर्य की छाया आगे नहीं पीछे होती है.
- हेमशा पिता का श्राद्ध बेटा ही करे या फिर बहू करे. पोते या पोतियों से पिंडदान कभी ना कराएं.
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