Kedarnath Temple History In Hindi | जानिये केदारनाथ मंदिर का पूरा इतिहास
आज दोस्तों हम आपको उत्तराखंड राज्य में स्थित प्रसिद्ध धाम ” केदारनाथ धाम अर्थात केदारनाथ धाम के इतिहास “ के बारे में चर्चा करेगे है , यदि आप केदारनाथ धाम के इतिहास के बारे में जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को को अंत तक जरुर पढ़े.
केदारनाथ धाम का इतिहास – History of Kedarnath Dham
- भारत में केदारनाथ का मन्दिर उत्तराखंड के राज्य रूद्रप्रयाग जिले में बसा है। ( Kedarnath temple history in hindi )
- उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत पर हिमालय की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम के नाम से भी जाना जाता है और पंच केदार में से भी एक है।
- शिव मंदिर उत्तराखंड का सबसे विशाल मंदिर में से एक है, जो कटे पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। और ये शिलाखंड पुरे भूरे रंग की हैं। केदारनाथ मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बनाये गये है। इसका गर्भगृह प्राचीन है केदारनाथ के मन्दिर को 80वीं शताब्दी के पहले का लगभग का माना जाता है ।
- केदारनाथ का मंदिर तीन पहाड़ों से घिरा होया है। एक तरफ से केदारनाथ मंदिर करीब 22 हजार फुट ऊंचा, और दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और उसकी तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड भी है।
- केदारनाथ मंदिर न सिर्फ तीन पहाड़ बल्कि पांच नदियों से भी घिरा है यहां-मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती मंदाकिनी और स्वर्णगौरी ।
- इन नदियों में से कुछ का अब अस्तित्व नहीं रहा और अब तक अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी है।
- केदारनाथ धाम के इतिहास के अनुसार केदारनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक मानी जाती है | अगर हम जयोतिर्लिंग के दर्शन से ही समस्त पापो से मुक्ति मिल जाती है |
- केदारनाथ मंदिर के साथ मे केदारेश्वर धाम स्थित है | पत्थरो से बने कत्य्रुई शैली से बने केदारनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में भी कहा जाता है कि इनका निर्माण जन्मेजय पांडव वंश ने कराया था | लेकिन ऐसा भी बोलते है कि केदारनाथ मंदिर की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने की थी | केदारनाथ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते है|
- श्री केदारनाथ मंदिर में शिव शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजा भी की जाती है | शिवजी की भूजाए तुंगनाथ में , मुख रुद्रनाथ में , नाभि मदम्देश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए | इसलिए इन चार जगहों के करण श्री केदारनाथ को “पंचकेदार”के रूप में भी कहा जाता है | केदारनाथ में शिवजी के एनके मंदिर बने है | ( Kedarnath temple history in hindi )
केदारनाथ धाम के बारे में कथा – Story about Kedarnath Dham
हिमालय के केदार पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि भी तपस्या किया करते थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हो गये और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वहा रहने का वर प्रदान किया। यह जगह केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर स्थित हैं।
पंचकेदार (केदारनाथ) की कथा – The Story of Panchkedar Kedarnath
ऐसा बोला जाता है कि महाभारत के युद्ध खत्म होने के बाद विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या अर्थात अपने परिवार वालो की हत्या से अपने पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। और पांडव भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे | लेकिन भगवान शिवजी शंकर पांडवो से गुस्सा थे। भगवान शंकर के दर्शन पाने के लिए पांडव काशी गए , पर भगवान शिव शंकर पांडवो को वहां भी नहीं मिले। पांडवो शिवजी भगवान खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे । भगवान शिव शंकर पांडवों के साथ मिलना ही नहीं चाहते थे, इसलिए वे वहां से केदार में जा बसे। दूसरी ओर, पांडव भी लगन के पुरे पक्के थे, वे उनका पीछा करते-करते केदारनाथ भी पहुंच गए।
बैल का रूप लेकर भगवान शंकर अन्य पशुओं में जा मिले। पांडवों को शक हो गया कि भगवान शिव शंकर इन पशुओ के झुण्ड में स्थित है।उसी टाइम भीम ने अपना अलग ही रूप लेकर दो पहाड़ों पर पैर फैला दिए ।
अन्य सब गाय-बैल तो वहा से निकल गए, पर शिव शंकर जी रूपी बैल का रूप धारण कर पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए। तब भीम अपनी पूरी ताकत से बैल पर झपटे , लेकिन बैल भूमि में अंतध्र्यान करने लगा। तब भीम ने बैल की पीठ का भाग पकड़ लिया। और भगवान शिव शंकर पांडवों की भक्ति देख कर प्रसन्न हो गए। भगवान शिवजी ने उन्हें तुरंत दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त भी कर दिया। उसी समय से भगवान शिव शंकर बैल की पीठ की -पिंड के रूप में श्री केदारनाथ धाम में पूजे जाते हैं। ( Kedarnath temple history in hindi )
आशा करता हूँ कि आपको मेरा “केदारनाथ धाम के इतिहास का आर्टिकल पढ़कर आनंद आया होगा |
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