नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका मेरे चैनल में दोस्तों जैसा की आप सब जानते ही है की सावन माह की शुरुआत हो चुकी है और सभी सावन माह में भगवान शिव की पूजा विधि विधान से करते हैं. और सावन के माह में ज्यादातर औरतें हरी चूड़ियां पहनती हैं, लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं कि सावन के महीनों में महिलाएं हरी चूड़ियां क्यों पहनती है. तो चिलये जानते है की सावन के माह में महिलाएं हरे रेंग की चुदियाँ क्यों पहनती है, और इसके महत्व.
महिलाएं सावन में हरी चूड़ियों क्यों पहनती है और इसके क्या महत्व है:
सुहागिन महिलाएं हरे रंग का परिधान और चूड़ियां पहनकर भगवान शिव का दर्शन करने जाती हैं. और जैसा की आप जानते है की ज्यादातर सावन के महीने में सबसे अधिक बारिश होती है और जिसके कारण चारों ओर हरियाली नजर आती है, हरा रंग उल्लास का प्रतीक होता है जो मन को आनंदित रखता है.
ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले बेल और धतूरे का रंग हरा ही होता है, और प्रकृति का निर्माण करने वाले भगवान शिव हरे रंग से प्रसन्न होते हैं. यही कारण है कि सुहागिन महिलाएं सावन के महींनो में हरी चूड़ियां पहनती हैं. इसके अलावा हिन्दू धर्म में हरी चूड़ियों को सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है. हरी चूड़ियां पहनकर महिलाएं भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा कर उनको प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं.
हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं को चूड़ियां पहनना जरुरी होता है और ज्यादतर महिलाएं सोने से बने कंगनों के साथ कांच की चूड़ियां पहनती है. वहीं मुस्लिम महिलाओं के लिए शादी के बाद और पहले दोनों समय चूड़ी पहनना जरूरी होता है ऐसा माना जाता है कि खाली हाथ किसी को पानी देना गलत होता है.
सावन के महीने में हरी चूड़ियां और हरे वस्त्र पहनने से महिलाओं को उनके पति की आयु लंबी होने का भगवान शिव जी उन्हें आशीर्वाद देता है. हिन्दू धर्म के मान्यता के अनुसार महिला के चूड़ी पहनने का संबंध उसके पति और बच्चे से होता है. कुछ धर्मों में तो चूड़ियों के संबंध में इतनी गहरी आस्था है कि महिलाएं चूड़ी बदलने में भी सावधानी बरतती है.