Manimahesh Yatra In Hindi | मणिमहेश झील और उसकी यात्रा

धर्म
PUBLISHED: August 10, 2023

Manimahesh Yatra in Hindi : मणिमहेश झील हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में से एक मानी जाती है और ये  हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भरमौर तहसील में स्थित एक बेहद आकर्षक और पवित्र झील  मानी जाती है जिसे  हम लोग  उसे डल झील के नाम से भी जाना जाता है। 4,080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस ये मणिमहेश झील का महत्व मानसरोवर झील के समान माना जाता है। मणिमहेश का शाब्दिक अर्थ है “शिव के आभूषण”।  बर्ष के अधिकांश समय मणिमहेश यात्रा बर्फबारी  होने के कारण से  बंद रहती है।(Manimahesh Yatra In Hindi)  मणिमहेश झील झील तक पहुँचने के लिए पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों को अनके पहाड़ों और हरियाली के माध्यम से 13 किमी की पैदल चलना पड़ता है। मणिमहेश झील एक प्रमुख तीर्थ यात्रा है, जिसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार,अगस्त  ये सितंबर के महीने के दौरान अमावस्या के आठवें दिन किया जाता है जिसे ‘मणिमहेश यात्रा’ के रूप में जाना जाता है। (kailash trekkers)

यदि  दोस्तों आप भी मणिमहेश यात्रा पर जाने वाले है या फिर इस झील के बारे में विस्तार से जानना चाहते हो  तो आप हमारे इस आर्टिकल  जरूर पढ़े जिसमे हम मणिमहेश झील और मणिमहेश की यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे आपको बतएगे।

मणिमहेश की कहानी – Manimahesh Story

मणिमहेश झील से कुछ  बाते जुडी हुई हैं। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण मणिमहेश कहानी की बात की भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी करने के बाद झील का निर्माण किया। यह भी माना जाता है कि इस क्षेत्र में होने वाले हिमस्खलन और बर्फानी तूफान आता है तो इसका मतलव  शिव की नाराजगी के कारण होते हैं

पुरानी कथाएं भी भूमि को हिंदू के तीन प्रमुख राजाओं का निवास माना जाता हैं; ब्रह्मा, विष्णु, और महेश। (hiking mount kailash) शिवजी  के स्वर्ग की झील होने के कारण, विष्णु के रूप में एक ढेंचू झरना और भरमौर शहर के सामने का टीला ब्रह्मा का स्वर्ग कहा जाता है। शिवजी  अपने स्वर्ग में 6 महीने तक निवास करते हैं और बाद बाकी वर्ष के हिस्से के लिए विष्णु को शासन सौंपते हैं। इस आध्यात्मिक आदान-प्रदान का दिन जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण के जन्मदिन) पर पड़ता है और जिस दिन शिवजी भगवान  मणिमहेश लौटते हैं, पुरे हिन्दू वर्ष में  शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। (Manimhesh yatra in Hindi) 

मणिमहेश का रहस्य – Manimahesh ka Rahshay

Manimhesh yatra in Hindi -Manimahesh ka Rahshay

समुद्र तट से 4,080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश के एक पवित्र स्थल माना जाता  है जो एक तीर्थ स्थल  भी है और रहस्य  साथ साथ कई रहस्यों से भी भी  भरा हुआ है। मणिमहेश के रहस्य ने श्र्धालुयों के साथ साथ पर्यटकों को भी हेरान कर दिया है और सोचने पर उनको  मजबूर कर दिया है। मणिमहेश झील रहस्यमयी कहानी  बनी चुकी है जो आज भी किसी पहेली से कम नही है।

मणिमहेश यात्रा 2023 – Manimahesh Yatra 2023

यदि आप भी मणिमहेश झील की यात्रा को प्लान कर कर रहे है तो हम आपको मणिमहेश यात्रा 6 अगस्त में 2023 शुरू होगी और  सितंबर  23को समाप्त होगी।

मणिमहेश कैलाश ट्रेकइस ट्रेक की शुरुआत पहले कुछ किलोमीटर चढ़ाई से शुरू की जाती है लेकिन उसके बाद, मार्ग पहले धारा को पार करने की दिशा में एक ज़िगज़ैग की तरह हो जाता है। एक और 1 किमी के लिए ट्रेकिंग के बाद, आप धनचो पहुंचेंगे। यह जगह समुद्0930 तल से 2,280 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। धनचो से, ट्रेक फूलों और औषधीय जड़ी-बूटियों की घाटी से सुंदरसी तक  मानी जाती  है।, मणिमहेश दो ट्रेकिंग मार्ग उपलब्ध हैं। पहला ट्रेक आसन है जबकि दूसरा ट्रेक थोड़ा अधिक कठिन है जो “भैरव घाटी” के साथ में  गौरीकुंड तक पहुंचता है। यदि आप गौरीकुंड से जाना चाहते हो  तो आप एक धातु गर्डर पुल के ऊपर मणि महेश नाले को पार करते हैं। (kailash parvat trekking) जो अंत में ग्रेडिएंट के बाहर निकलता है और यहां से आपकी मंजिल 1.5 किलोमीटर है। (Manimhesh)

वेसे तो ये ट्रेक एक  दिन में पूरा किया जा सकता है। यदि आप  दोस्तों चाहे तो धनोचो में रात भर रह सकते हैं यहाँ ठहरने के लिए आवास भोजन के लिए रसोई सबका  प्रबंध  है। (Manimhesh yatra in Hindi) 

मणिमहेश झील का जल और दर्शनीय सौंदर्य – Water & Scenic Beauty of Manimahesh Lake 

Manimahesh ka Rahshay- Water & Scenic Beauty of Manimahesh Lake

मणिमहेश झील के पास की हिमाच्छादित चोटियों से पिघलने वाला बर्फीले पानी मणिमहेश झील का मुख्य स्रोत  माना  जाता हैं। जैसे ही जून के टाइम तक बर्फ पिघलना  भी शुरू होती है, यह कई छोटी धाराओं में  भी टूट जाती है और मणिमहेश झील अलग  ही आकर मिलती है। हरी-भरी पहाड़ियों और फूलों की एक साथ जलधाराएँ घाटी को सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करती हैं जो किसी  भी स्वर्ग से कम नही  मानी जाती है। (mount kailash trek)

बर्फ से ढकी चोटियों का मणिमहेश झील के पानी  भी साफ रहता है। इस झील का वातावरण शुद्ध और पवित्र माना जाता  है, जो तीर्थ यात्रियों की प्रार्थना और प्रभु के आशीर्वाद से भरा  है।

मणिमहेश झील के दर्शन के लिए टिप्स – Tips For Visiting Manimahesh Lake 

यदि आप दोस्तों  मणिमहेश यात्रा या मणिमहेश ट्रेक पर जाने वाले है तो आपनी ट्रिप में किसी भी असुविधा से बचने के लिए नीचे दिए गये इन टिप्स को फॉलो जरूर करें

  • यदि आप मणिमहेश यात्रा 2023 में जाने वाले है तो ध्यान दे इस दौरान वहा श्र्धालुयों की बहुत अधिक भीड़ होती है इसीलिए अपने आपको को सावधान रख लीजिये ।
  • मणिमहेश झील के दर्शन के लिए जाने से पहले  आप पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े, पानी और भोजन लें क्योंकि यहाँ बहुत ठण्ड  भी होती है और झील के पास कोई भोजन का प्रबंध भी नहीं हैं।
  • अपनी मणिमहेश ट्रेक पर जाने से पहले ट्रेकिंग के लिए लगने वाले आवशयक उपकरण अवश्य साथ ले कर चलना । (Manimahesh Yatra Route)
  • ट्रेक के दौरान कभी भी अकेले वहा पर न  घूमें आप । अपने ट्रेकिंग गाइड और साथी ट्रेकर्स के साथ रहें आप ।
  • ट्रेकिंग करते समय तेज गति से न चलें आराम से चले। (shri manimahesh yatra)
  • यदि आप बीमार हों  तो मणिमहेश यात्रा को बिलकुल प्लान ना करें।
  • ट्रेक बहुत ही अच्छा माना जाता है, इसलिए अपने  फ़ोन और कैमरे को पूरी तरह से चार्ज करना न भूलें।
  • 4,080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश यात्रा  में नेटवर्क की प्रोब्लम होती  है।

मणिमहेश झील घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Manimahesh Lake 

मणिमहेश झील समुद्र तट से 4,080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और सर्दियों के समय पूरी तरह बर्फ से जमी रहती है। इसलिए आप अगस्त से लेकर मध्य सितंबर  के दौरान किसी भी समय मणिमहेश झील की यात्रा कर सकते हैं। मणिमहेश झील में हर साल, भादों के महीने में या अगस्त  सितम्बर में इस झील में एक मेला लगता है, जो हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है,आप इस दौरान भी मणिमहेश झील घूमने जा सकते है। (Manimhesh yatra in Hindi) 

Read more:  How to Take Care Dry Hair in Hindi | सूखे बालों की देखभाल केसे करे

History of Bageshwar Dham Sarkar In Hindi | जानें बागेश्वर धाम सरकार का इतिहास

Recommended For You

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!